मुझको सहुलियतें न थीं,
उनको दिक्क़तें न
थीं ।
हर शर्त पर सौदा तय हुआ,
चीज़ की क़ीमतें न थीं ।
उनकी ज़िंदगी कितनी अजीब,
जिन्हें कोई मुसीबतें न थीं ।
हर बार बुलंदी उनको मिली,
जिनकी ठीक हरकतें न थीं ।
उनको यक़ीं की आदत नहीं,
क्या सच अपनी बातें न थीं ।
ग़ज़ल
काश
के ये मजबूरियां न होतीं,
तो
हम में ये दूरियां न होतीं ।
बहोत
बिखरा हूँ बिछड़ने के बाद,
तेरे
होने से ये दुशवारियां न होतीं ।
तू
जो रहता पहलू में मेरे दिन-रात,
तो
कैफ़ की ये ख़ुमारियां न होतीं ।
तू
न होता गर उजालों के मानिन्द,
मेरी
भी ये परछाइयां न होतीं ।
तू
भी कहता
सच मेरी ही तरह,
'तन्हा' से यूँ रुसवाइयां न होतीं ।
bhaut khoob...mohsin
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