शामिल है ये उसकी आदत में।
ख़ुश रहता है हर मुसीबत में।
सड़कों पे फ़ाकों से हो बसर,
पर वो जीता है हर हालत में।
उसके पसीने में जो है चमक
है वो कहाँ तुम्हारी दौलत में।
ता'मीरे मस्जिद पर ख़ुदा ख़ुश था,
इतना असर कहाँ इबादत में।
बेटियाँ भी हुईं घर की क़ाबिल,
गुज़ारे कई दिन ग़ुरबत में।
'तन्हा' गुमनामी के अंधरे भले,
अब दम घुटता है शोहरत में।
मोहसिन 'तन्हा'
ख़ुश रहता है हर मुसीबत में।
सड़कों पे फ़ाकों से हो बसर,
पर वो जीता है हर हालत में।
उसके पसीने में जो है चमक
है वो कहाँ तुम्हारी दौलत में।
ता'मीरे मस्जिद पर ख़ुदा ख़ुश था,
इतना असर कहाँ इबादत में।
बेटियाँ भी हुईं घर की क़ाबिल,
गुज़ारे कई दिन ग़ुरबत में।
'तन्हा' गुमनामी के अंधरे भले,
अब दम घुटता है शोहरत में।
मोहसिन 'तन्हा'