ये
उसके क़त्ल का ही बयान है ।
हमारे
बीच अब भी शैतान है ।
सदा
क्यों हारता रहा ईमान है ।
ये
ख़ून जो घुला हुआ है मिट्टी में,
उसकी
शहादत का निशान है ।
रश्क
कर रहा हिंदुस्तान है ।
राह
दिखाती रहेगी रोशनाई,
‘साधना’ तेरी एक ज़ुबान है ।
क़ातिल
क्यों मुँह छुपाता है,
तुझपर
थूक रहा इंसान है ।
दहशतों
से न दहलेगा दिल,
ये
बुझदिली की पहचान है ।
तू
हुआ शहीद हम हुए ‘तन्हा’
जाएँ
कहाँ हर तरफ़ ढलान है ।
मोहसिन ‘तन्हा’
डॉ. मोहसिन ख़ान
सहायक प्राध्यापक हिन्दी
जे.एस.एम. महाविद्यालय,
अलीबाग (महाराष्ट्र) 402201
09860657970