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बुधवार, 18 दिसंबर 2013

ग़ज़ल


दिल में उठा है दर्द रात कटेगी कैसे ।                                                        
हो गई बरसात अब थमेगी कैसे ।

बारिशों के धुएँ में चिंगारी सी तुम,
लग गई आग अब बुझेगी कैसे ।  

कर दिया पहाड़ों को परेशान तुमने,
बर्फ़ उनकी अब जमेगी कैसे । 

घर की खिड़कियों को छोड़ दिया खुला,
कोई नज़र अब झुकेगी कैसे । 

उठी है दिल में शिद्दत से कोई बात,
होठों तक आकार अब रुकेगी कैसे । 



डॉ. मोहसिन तन्हा
स्नातकोत्तर हिन्दी विभागाध्यक्ष 
जे.एस.एम. महाविद्यालय,  
अलीबाग (महाराष्ट्र)

मो. 09860657970

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