दिल
में उठा है दर्द रात कटेगी कैसे ।
हो गई
बरसात अब थमेगी कैसे ।
बारिशों के
धुएँ में चिंगारी सी तुम,
लग गई आग अब
बुझेगी कैसे ।
कर दिया
पहाड़ों को परेशान तुमने,
बर्फ़ उनकी
अब जमेगी कैसे ।
घर की
खिड़कियों को छोड़ दिया खुला,
कोई नज़र अब
झुकेगी कैसे ।
उठी है दिल
में शिद्दत से कोई बात,
होठों तक
आकार अब रुकेगी कैसे ।
डॉ.
मोहसिन ‘तन्हा’
स्नातकोत्तर हिन्दी विभागाध्यक्ष
जे.एस.एम.
महाविद्यालय,
अलीबाग
(महाराष्ट्र)
मो.
09860657970
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