मेरे सिर पे हमेशा ये इल्ज़ाम आया ।
ये शख़्स किसी के भी न काम आया ।
मैं चलता ही रहा मंज़िल की जानिब,
न मंज़िल मिली और न मक़ाम आया ।
ख़िताबों ने भी मेरा मुँह किया काला,
जो हुनर था वो भी न काम आया ।
क़िस्मत भी आज़माई लॉटरी के हाथों,
जमा भी गँवाया और न ईनाम आया ।
भेजी हैं अर्ज़ियाँ कई बार दफ़्तरों में,
अब तक तो कोई भी न पयाम आया ।
‘तन्हा’ सब्र न तोड़ना दुश्वारी में कभी,
रुसवा करूँ जुबां ऐसा न कलाम आया ।
मोहसिन 'तन्हा'
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उनकी अदा भी क्या कमाल है ।
इंतेख़ाब के नाम से इस्तेमाल है ।
वो माहिर हैं अपने फ़न में बहोत,
किस वक़्त चलना कैसी चाल है ।
ज़ाहिर न होने देते हैं बातों में,
दिया जवाब के पूछा सवाल है ।
तक़रीरों में देते हैं हिदायतें,
ख़ुद की शख्सियत ज़वाल है ।
हुनरमंद हैं बिसातें बिछाने में,
कोई मरे, कटे कहाँ मलाल है ।
इंतेख़ाब के नाम से इस्तेमाल है ।
वो माहिर हैं अपने फ़न में बहोत,
किस वक़्त चलना कैसी चाल है ।
ज़ाहिर न होने देते हैं बातों में,
दिया जवाब के पूछा सवाल है ।
तक़रीरों में देते हैं हिदायतें,
ख़ुद की शख्सियत ज़वाल है ।
हुनरमंद हैं बिसातें बिछाने में,
कोई मरे, कटे कहाँ मलाल है ।
चंद नुमाइंदों की साज़िशों से,
मुल्क़ का आम आदमी बेहाल है ।
'तन्हा' पे रहम करना या ख़ुदा,
गुनाहों में कहाँ तेरा ख़्याल है ।
'तन्हा' पे रहम करना या ख़ुदा,
गुनाहों में कहाँ तेरा ख़्याल है ।
मोहसिन 'तन्हा'
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वो अब औरत नहीं रही इश्तेहार हो गई है ।
जबसे दुनिया आबरू की ख़रीदार हो गई है ।
उसके सो जाने पे ही करता हूँ नेट सर्फ़िंग,
मेरे घर की बच्ची अब होशियार हो गई है ।
बेख़ौफ़ पहलू में लिए फिर रहा था कल जिसे,
आज वो ही तेहज़ीब क्यों हथियार हो गई है ।
सुना है मैंने हर मर्ज़ की दवा होती है लोगों,
फ़िर क्यों क़ौम इस क़दर बीमार हो गई है ।
रखता कब तक आँगन ज़हन की तरह साफ़,
कल जिरह हुआ आज खड़ी दीवार हो गई है ।
दरिंदों ने बेरहमी से नोचा है किस क़दर,
आज बेटी मेरे देश की शर्मसार हो गई है ।
हालात की आग,वक्त के थपेड़ों से यूँ ढली,
कच्चा लोहा जानलेवा तलवार हो गई है ।
जबसे बदली हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में,
दोनों दिलों के बीच गहरी दरार हो गई है ।
'तन्हा' पहोंचा अरसे बाद घर तो पता चला,
उसकी माँ मोहल्ले की क़र्ज़दार हो गई है ।
मोहसिन 'तन्हा
जबसे दुनिया आबरू की ख़रीदार हो गई है ।
उसके सो जाने पे ही करता हूँ नेट सर्फ़िंग,
मेरे घर की बच्ची अब होशियार हो गई है ।
बेख़ौफ़ पहलू में लिए फिर रहा था कल जिसे,
आज वो ही तेहज़ीब क्यों हथियार हो गई है ।
सुना है मैंने हर मर्ज़ की दवा होती है लोगों,
फ़िर क्यों क़ौम इस क़दर बीमार हो गई है ।
रखता कब तक आँगन ज़हन की तरह साफ़,
कल जिरह हुआ आज खड़ी दीवार हो गई है ।
दरिंदों ने बेरहमी से नोचा है किस क़दर,
आज बेटी मेरे देश की शर्मसार हो गई है ।
हालात की आग,वक्त के थपेड़ों से यूँ ढली,
कच्चा लोहा जानलेवा तलवार हो गई है ।
जबसे बदली हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में,
दोनों दिलों के बीच गहरी दरार हो गई है ।
'तन्हा' पहोंचा अरसे बाद घर तो पता चला,
उसकी माँ मोहल्ले की क़र्ज़दार हो गई है ।
मोहसिन 'तन्हा
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