नाम - प्रेरणा विनोद जानी
शिक्षा- MBA,H.R Professional
सम्मान - साहित्य संगम अलख सम्मान, साहित्य संगम दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान,नारी सागर सम्मान, श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान।
सम्मान - साहित्य संगम अलख सम्मान, साहित्य संगम दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान,नारी सागर सम्मान, श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान।
वर्तमान में चेन्नई , तमिलनाडु में निवास, स्थायी तौर पर - गोंदिया, महाराष्ट्र में निवास।
ई मेल-janiprerna@gmail.com
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1.ऐ ज़िंदगी
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मैं तेरे साथ चली..
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली,
कभी भीड़ में
कभी तनहाई में,
उजाले और अँधेरे में,
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली।
मैं तेरे साथ चली,
कभी भीड़ में
कभी तनहाई में,
उजाले और अँधेरे में,
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली।
कभी शोर में
कभी शांति में,
दिये की बाती सा
विश्वास लिए
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली।
कभी शांति में,
दिये की बाती सा
विश्वास लिए
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली।
कभी मतलब से
कभी सेवा करने,
दुश्मन से
दोस्ती निभाते,
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली।
कभी सेवा करने,
दुश्मन से
दोस्ती निभाते,
ऐ ज़िंदगी
मैं तेरे साथ चली।
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2. अब तो मेरा कसूर बताओ ?
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जो माँगा तुमने पाया था,
हम दोनों ने वादा निभाया था,
भूल गये वो कसमें-वादें,
इरादा आपका कुछ समझ न आया था।
हम दोनों ने वादा निभाया था,
भूल गये वो कसमें-वादें,
इरादा आपका कुछ समझ न आया था।
पैसों की तुमको चाहत होगी,
मोहब्बत की इनायत होगी,
मिटा देती खुद लीला गर होता मालूम,
कि यहाँ दहेज माँग हर दिन होगी।
मोहब्बत की इनायत होगी,
मिटा देती खुद लीला गर होता मालूम,
कि यहाँ दहेज माँग हर दिन होगी।
उत्पीड़न तिरस्कार सहना होगा,
काम भी घर का करना होगा,
हम नही देख सकते तुम्हारा चेहरा,
तुम्हे हम सब के लिए कुछ करना होगा।
काम भी घर का करना होगा,
हम नही देख सकते तुम्हारा चेहरा,
तुम्हे हम सब के लिए कुछ करना होगा।
क्यूँ इतना मुझको सताया तुमने,
चेहरा तक मेरा जलाया तुमने,
मैं अपना जीवन तुम्हे मानी थी,
हर कदम पर मुझे रुलाया तुमने।
चेहरा तक मेरा जलाया तुमने,
मैं अपना जीवन तुम्हे मानी थी,
हर कदम पर मुझे रुलाया तुमने।
दिल बोलने में ही रो पड़ेगा,
आत्मा को ही कुछ कहना पड़ेगा,
दुआ है खुदा से इन अत्याचारियों की,
बेटी को भी दुख यही सहना पड़ेगा।
आत्मा को ही कुछ कहना पड़ेगा,
दुआ है खुदा से इन अत्याचारियों की,
बेटी को भी दुख यही सहना पड़ेगा।
पूछा माँ से मैंने मेरा कसूर बताओ ?
पूछा खुदा से मैंने मेरा कसूर बताओ ?
सब मौन थे मूक थे किया सबने इन्कार,
क्या औरत होना ही था मेरा कसूर बताओ।
पूछा खुदा से मैंने मेरा कसूर बताओ ?
सब मौन थे मूक थे किया सबने इन्कार,
क्या औरत होना ही था मेरा कसूर बताओ।
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3. हम साथ साथ हैं
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दिलों में स्नेह हैं,
प्रेम करुणा से बंधी ये डोर हैं,
चाहे आये कितनी विपत्तियाँ ,
पर हम साथी साथ हैं।
प्रेम करुणा से बंधी ये डोर हैं,
चाहे आये कितनी विपत्तियाँ ,
पर हम साथी साथ हैं।
नैनो में सपने हैं,
पूरे करने के हौसले हैं,
चाहे कितनी भी हो कठिन डगर,
हम सब साथी साथ हैं।
पूरे करने के हौसले हैं,
चाहे कितनी भी हो कठिन डगर,
हम सब साथी साथ हैं।
जैसे दिये संग बाती,
जैसे फूलो संग भवरें,
करते प्रार्थना पूरी हो कामना,
सभी की ये मनोकामना,
हम साथी साथ हैं।
जैसे फूलो संग भवरें,
करते प्रार्थना पूरी हो कामना,
सभी की ये मनोकामना,
हम साथी साथ हैं।
जैसे आँखे करती हो अठखेलियां,
कभी मस्ती में झूमते जिया,
कभी बनता रूहो का काफिला ,
काफिलों के संग हम साथ साथ हैं।
कभी मस्ती में झूमते जिया,
कभी बनता रूहो का काफिला ,
काफिलों के संग हम साथ साथ हैं।